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Sri Pratyangira Sadhana Rahasya Book (Mantra Vidhaan Evam Prayog)

माँ पीताम्बरा की अनुकम्पा से श्री प्रत्यंगिरा साधना रहस्य ग्रन्थ का प्रकाशन संभव हुआ। आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि यह आपके जीवन में आपका मार्गदर्शन करेगा।
मुख्य आकर्षण – भगवती प्रत्यंगिरा-साधना, मंत्र -संस्कार , प्रत्यंगिरा-पंचांग ,अक्षमाला-जप-विधान ,पूजन-विधान
बाह्य-पूजन-विधान , आवरण-पूजा , श्री प्रत्यंगिरा के विविध मंत्र , श्री प्रत्यंगिरा-पटल , श्री कौशिकी प्रत्यंगिरा-पद्धति
श्री कौशिकी प्रत्यंगिरा-मंत्र-विधान , श्री कौशिकी प्रत्यंगिरा-कवच , श्री कौशिकी प्रत्यंगिरा-स्तोत्र , सर्वशत्राु-निषूदिनि प्रत्यंगिरा-मंत्र
श्री विपरीत महाप्रत्यंगिरा-स्तोत्र , श्री प्रत्यंगिरा तांत्रिक हवन-विधि , सदाशिव-पूजन

ISBN – 9789352885497, 935288549X

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भगवती प्रत्यंगिरा-साध्ना
विशिष्ट तथ्य, ऋतु-विचार, तिथि-विचार, वार-विचार,अंगुलि-विचार, मुहूर्त-विचार, आचार, भाव, कुल्लुका, सेतु, निर्वाण, मुख-शोधन, प्राणयोग, उद्दीपन, मूल-मन्त्र (प्रत्यंगिरा, विपरीत प्रत्यंगिरा)

मन्त्रा-संस्कार
मूल-मन्त्रा, शापोद्धार, उत्कीलन, चेतन, आह्लादनी, तेजोद्दीप, अभ्यजनन, सूतक-निवारण, उभय-सूतक-त्याग, मन्त्रा-प्रत्यक्ष, प्राण-स्थापन, स्पन्दन, दीपन, ताड़न, निबोधन, अभिषेचन, दाहन, विमलीकरण, पुनर्जीवन, प्रोक्षण, आप्यायन, पुनर्दीपन, गोपन, टिप्पणी।

प्रत्यंगिरा-पंचांग
भक्ति, शुद्धि, पंचांग-सेवन, आचार, धारणा, दिव्यदेश, प्राणक्रिया, मुद्रा, तर्पण, हवन, बलि, याग, जप, ध्यान, समाधि, तान्त्रिाक-विधान: गुरु-पूजन, द्वार-पूजन, तत्व-शोधन, आचमन आदि, सामान्य अघ्र्य-स्थापना, तीर्थ आवाहन, यज्ञभूमि-संस्कार, आसन-पूजन, व्यापक न्यास-21, शरीर रक्षा-न्यास-22, भूत-शुद्धि-24, स्वदेह प्राण- प्रतिष्ठा, विनियोग, ऋष्यादिन्यास-25, कराक्षरन्यास, हृदयाद्याक्षर-न्यास-26, व्यापक अक्षर-न्यास-27, देवता प्राण- प्रतिष्ठा-29, ऋष्यादिन्यास, करांगन्यास-30, हृदयादि न्यास, व्यापक न्यास-31, त्वग-न्यास, प्राणशक्ति-पीठ-देवता- न्यास-32, यन्त्रा-पूजन, प्राण-प्रतिष्ठा-40, ध्यान, मूल मन्त्रा-41, कुछ विशेष-42।

अक्षमाला-जप-विधन
विशुद्धि चक्र, अनाहत चक्र, मणिपुर चक्र, स्वाधिष्ठान, मूलाधार, चक्रों पर मन्त्र-जप, कुछ विशेष, पूजन-विधन
पूजा के दो भेद: अन्तः पूजा, तत्व आचमन, प्राणायाम, कुण्डली-ध्यान, प्रत्यंगिरा ध्यान।

बाह्य-पूजन-विधन
संकल्प, तत्व-आचमन, विनियोग, ऋष्यादिन्यास, करन्यास, हृदयादिन्यास, दिग्बन्ध, प्राण-प्रतिष्ठा मन्त्रा, आवाहन, आसन, स्थापन, सन्निरोधन, सम्मुखीकरण, अवगुण्ठन, सकलीकरण, अमृतीकरण, परमीकरण, स्वागत, प्राण-स्थापन, मुद्रा प्रदर्शन, प्रत्यंगिरा-गायत्राी, पुष्पा×जलि, विविध उपचार, पाद्य, अघ्र्य, आचमन, मधुपर्क, स्नान, आचमन, उद्वर्तन, शुद्ध स्नान, वस्त्रा, यज्ञोपवीत, उत्तरीय, पुष्पसार, आभूषण, विन्यास- समर्पण, चन्दन, अक्षत, पुष्प, पुष्पमाला, दूर्वा, बिल्वपत्रा, अबीर-गुलाल, सिन्दूर, कुंकुम, धूप, दीप, नैवेद्य, जल-समर्पण, ताम्बूल, पुष्पा×जलि, कुछ विशेष।

क्षेत्रा-कीलन
प्रतिष्ठा, सुदर्शन मन्त्रा, विघ्नोत्सारण-80, कुछ विशेष-82।

आवरण-पूजा
प्रत्यंगिरा पूजन-यन्त्रा-83, प्रथम-आवरण, द्विव्यौघ गुरु-84, सिद्धौघ गुरु-पूजन-85, मानवौघ गुरु-पूजन-86, द्वितीय- आवरण-88, तृतीयावरण-90, चतुर्थ-आवरण-91, पंचम- आवरण-92, षष्ठम-आवरण-94, सप्तम-आवरण-96, अष्टम- आवरण-98, नवम-आवरण-100, बलि-विधान-102, बटुक आदि बलि-103, प्रार्थना, योगिनी-बलि-104, पुष्पा×जलि-105, गणपति बलि-106, प्रार्थना, क्षेत्रापाल-बलि-107, प्रार्थना-108, राजराजेश्वर-बलि-109, प्रार्थना, पुष्पा×जलि-110, काल-बलि- 111, प्रार्थना, मृत्यु-बलि-112, प्रार्थना, दिग्पाल-बलि-113, भूतादि-बलि-116, बलि-समर्पण, अखण्ड दीप-पूजन, जप-
विधान, विनियोग-118, न्यास, दिग्बन्धन-119, प्राणायाम, ध्यान, तर्पण, आरती-120, पुष्पांजलि, प्रार्थना, परिÛमा-121, कुछ विशेष-122।

श्री प्रत्यंगिरा के विविध् मन्त्रा
षोडशाक्षर मन्त्रा-1, 2-123, शत्राू-निषूदिनि-प्रत्यंगिरा मन्त्रा-124, विनियोग, ध्यान, मेरु-तन्त्रोक्त प्रत्यंगिरा मन्त्रा, षट्-विशंत्यक्षर मन्त्रा-125, प्रत्यंगिरा-गायत्राी, विपरीत प्रत्यंगिरा-गायत्राी, विपरीत प्रत्यंगिरा मन्त्रा, लोम-विलोम गायत्राी पुटित मन्त्रा-126, ध्यान-127, कुछ विशेष-128।
कलश-स्थापना
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11ण् श्री प्रत्यंगिरा-पटल 139दृ152
पीठिका, भावार्थ-139, देव्युवाच, भैरव-उवाच-140, प्रत्यंगिरा- मन्त्रोद्धार-142, विनियोग, ध्यान-145, प्रत्यंगिरा- मन्त्रोद्धार- 146, मन्त्रा के प्रयोग-149।

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