Shri Baglamukhi Tantram Book by Sri Yogeshwaranand & Sumit Girdharwal

Shri Baglamukhi Tantram Book by Sri Yogeshwaranand & Sumit Girdharwal

माँ पीताम्बरा की अनुकम्पा से ” श्री बगलामुखी तन्त्रम ” ग्रंथ का प्रकाशन संभव हुआ। आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि यह आपके जीवन में आपका मार्गदर्शन करेगा।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें – 9540674788

Buy Baglamukhi Tantram Book online from asthaprakashan.com

Buy Baglamukhi Tantram Book online from Amazon

Shri Baglamukhi Tantram Book By Yogeshwaranand & Sumit Girdharwal Preview

View Book Tantram Book on Google

Read more

Sri Baglamukhi Panjar Stotram बगलामुखी पञ्जर स्तोत्र

Sri Baglamukhi Panjar Stotram बगलामुखी पञ्जर स्तोत्र

यह अति गोपनीय व रहस्यपूर्ण पञ्जर स्तोत्र अति दुर्लभ तथा परीक्षित है। इस पञ्जर का जप अथवा पाठ करने वाला साधक प्रत्येक क्षेत्र में सफलता का सोपान करता है। घोर दारिद्रय व विघ्नों के नाशक इस स्तोत्र का पाठ करने वाले साधक की माँ बगला स्वयं रक्षा करती हैं। शत्रु दल साधक को मूक होकर देखते रह जाते हैं।

For mantra diksha & sadhana guidance email to shaktisadhna@yahoo.com or call us on 9540674788. Log on to www.baglamukhi.info or

It is a very secret, mysterious and rare stotra of Devi Baglamukhi known as Panjar Stotram. It has been proved many times that it helped many people in getting success in their life. It is said that one who recite Panjar Stotra everyday Ma Baglamukhi protect him herself. This stotra is the giver of wealth, health and overall happiness in life.

विनियोग : ॐ अस्य श्रीमद् बगलामुखी पीताम्बरा पञ्जररूप स्तोत्र मंत्रस्य भगवान नारद ऋषिः , अनुष्टुप छन्दः, जगद् वश्यकरी श्री पीताम्बरा बगलामुखी देवता , ह्ल्रीं बीजं, स्वाहा शक्तिः, क्लीं कीलकं मम परसैन्य मन्त्र-तन्त्र-यन्त्रादि कृत्य क्षयार्थं श्री पीताम्बरा बगलामुखी देवता प्रीत्यर्थे च जपे विनियोगः।

ॠष्यादि – न्यास :
भगवान नारद ॠषये नमः शिरसि।
अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे।
जगद् वश्यकरी श्री पीताम्बरा बगलामुखी देवतायै नमः हृदये।
ह्ल्रीं बीजाय नमः दक्षिणस्तने।
स्वाहा शक्तिये नमः वामस्तने।
क्लीं कीलकाय नमः नाभौ।

करन्यास 

ह्ल्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः।

ह्ल्रीं तर्जनीभ्यां स्वाहा।

ह्लरूं मध्यमाभ्यां वषट

ह्लरैं अनामिकाभ्यां हुं।

ह्लरौं कनिष्ठिकाभ्यां वौषट।

ह्ल्रमः करतलकरपृष्ठाभ्यां  फट्।

अंगन्यास

ह्ल्रां हृदयाय नमः।

ह्ल्रीं शिरसे स्वाहा ।

ह्लरूं शिखायै वषट् ।

ह्लरैं कवचाय हुं

ह्लरौं  नेत्र-त्रयाय वौषट् ।

ह्ल्रमः अस्त्राय फट् ।

Download Sri Baglamukhi Panjar Stotram Pdf

View Baglamukhi Panjar Stotram on Google Drive

Read more