Ashadha Gupta Navratri 11 July 2021 ( आषाढ़ मास गुप्त नवरात्री 2021 )

Ashadha Gupta Navratri July 2021 ( आषाढ़ मास गुप्त नवरात्री 2021  )

11 जुलाई से आषाढ़ गुप्त नवरात्री प्रारम्भ हो रही है। गुप्त नवरात्री में पूजा सामान्य नवरात्री के सामान ही होती है, लेकिन इस समय का उपयोग आप विशिष्ट साधनाओं को संपन्न करने में एवं अपने जीवन को उच्च कोटि पर ले जाने के लिए कर सकते हैं। गुप्त नवरात्री में विशेष रूप से दस महाविद्याओं की उपासना की जाती है। भारत सदैव से ही अपनी आध्यात्मकि शक्तियों के कारण विश्व गुरु रहा है लेकिन आज की पीढ़ी विरासत में मिले इस ज्ञान का मोल नहीं समझ रही है और शायद यही कारण है की आज सभी सुख सुविधाएँ होने के पश्चात भी मनुष्य सुखी नहीं है। वास्तविक सुख ध्यान,योग एवं ईश्वरोपासना से ही प्राप्त किया जा सकता है ये जितना जल्दी हम समझेंगे उतना ही हमारे हित में होगा।

आपके दिमाग में यह प्रश्‍न जरूर आ रहा होगा कि इसे गुप्‍त नवरात्र क्‍यों कहा जाता है? ऐसी मान्‍यता है कि इस नवरात्र में साधु संत और साधक अपनी सिद्धि की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की पूजा और आराधना गुप्‍त रूप से करते हैं इसलिए इसे गुप्‍त नवरात्र करते हैं। ऐसा माना जाता है कि आषाढ़ की नवरात्र में गजब की शक्ति होती है। इस साल रविवार को रवि पुष्‍य योग होने से गुप्‍त नवरात्र की पूजा मनचाहा फल देने वाली होगी। जो भी लोग मनोकामना पूर्ति के लिए पूजा करेंगे उन्‍हें जरूर सफलता प्राप्‍त होगी।

11 जुलाई 2021 ( रविवार) – प्रतिपदा, घट स्थापना, शैलपुत्री पूजा
12 जुलाई 2021 (सोमवार) – द्वितीया, ब्रह्मचारिणी पूजा
13 जुलाई  2021 (मंगलवार) – तृतीया, चंद्रघंटा पूजा
14 जुलाई 2021 ( बुधवार) – चतुर्थी, कुष्मांडा पूजा
15 जुलाई 2021 ( गुरुवार)– पंचमी, स्कंदमाता पूजा
16 जुलाई 2021 (शुक्रवार) – षष्टी, कात्यायनी पूजा , सप्तमी, कालरात्रि पूजा
17 जुलाई 2021 ( शनिवार) – महागौरी पूजा, दुर्गा महा अष्टमी पूजा
18 जुलाई 2021 ( रविवार) – नवमी नवरात्रि

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यह है घट स्थापना का समय

घट स्थापना शुभ मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 31 मिनट से सुबह 7 बजकर 47 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 59 से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक आप बिना कलश स्थापना के भी पूजा कर सकते हैं।

यह है कलश स्थापना के लिए सामान

किसी भी धार्मिक कार्य को शुरू करने से पहले कलश स्थापना यानी घटस्‍थापना करने का विधान होता है। पौरणिक मान्यताओं के अनुसार यदि कलश स्‍थापना करने के बाद देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेकर कोई शुभ काम करेंगे तो वह निश्चिंत रूप से आपको सफलता दिलाएगा।  आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के लिए मिट्टी का पात्र और जौ, शुद्ध, साफ मिट्टी, शुद्ध जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश, मोली (कलवा), साबुत सुपारी, कलश में रखने के लिए सिक्के, फूल और माला, अशोक या आम के 5 पत्ते, कलश को ढकने के लिए मिट्टी का ढक्कन, साबुत चावल, एक पानी वाला नारियल, लाल कपड़ा या चुनरी की आवस्यकता होती है।

ऐसे करें कलश स्थापना – 

  • नवरात्रि में कलश स्थापना करने के दौरान सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लें।
  • लकड़ी की चौकी रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
  • कपड़े पर थोड़े-थोड़े चावल रखें।
  • चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करें।
  • एक मिट्टी के पात्र में जौ बोयें।
  • इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें।
  • कलश पर रोली से स्वस्तिक या ‘ऊँ’ बनायें।
  • कलश के मुख पर कलवा बांधकर इसमें सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखें।
  • कलश के मुख को चावल से भरी कटोरी से ढक दें।
  • एक नारियल पर चुनरी लपेटकर इसे कलवे से बांधें और चावल की कटोरी पर रख दें।
  • सभी देवताओं का आवाहन करें और धूप दीप जलाकर कलश की पूजा करें।
  • भोग लगाकर मां की पूजा करें।

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श्री बगलामुखी तन्त्रम
मंत्र साधना एवं सिद्धि के रहस्य
अनुष्ठानों का रहस्य
आगम रहस्य
श्री कामाख्या रहस्यम
श्री तारा तंत्रम
श्री प्रत्यंगिरा साधना रहस्य
शाबर मंत्र सर्वस्व
यन्त्र साधना दुर्लभ यंत्रो का अनुपम संग्रह
श्री बगलामुखी साधना और सिद्धि
षोडशी महाविद्या श्री महात्रिपुर सुंदरी साधना श्री यंत्र पूजन पद्दति एवं स्तवन
श्री धूमावती साधना और सिद्धि

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